शहर की पांच कला विभूतियों को मिला अकादमी अवार्ड
राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल गुरुवार को कला के क्षेत्र में राष्ट्रीय पटल पर नाम रोशन करने वाली हस्तियों को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया। गोरखपुर के पांच कलाकारों ने भी यह सम्मान हासिल किया। संगीत नाटक अकादमी के वर्ष 2009 से वर्ष 2019 तक एक साथ दस वर्षों के अकादमी पुरस्कार कलाकारों को दिये गये।
सम्मान समारोह में वर्ष 2010 के अकादमी पुरस्कार से गोरखपुर को कर्मक्षेत्र बनाने वाले सरोद वादक शिवदास चक्रवती को सम्मानित किया गया। इसी क्रम में लोकगायिका उर्मिला शुक्ला को वर्ष 2019 का अकादमी पुरस्कार, लोकगायक राकेश उपाध्याय को वर्ष 2016 का पुरस्कार, रंगमंच के क्षेत्र में वर्ष 2011 का अकादमी पुरस्कार शैलेश श्रीवास्तव को दिया गया। हारमोनियम वादक मुख्तार अहमद को वर्ष 2014 के अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सम्मान मिलने से बेहद खुश हूं। लोकगायन ने मुझे बहुत नाम दिया। अपने गीतों से लोक, संस्कार और परम्परा को बढ़ावा देने का ही प्रयास किया है। परम्परा से जुड़े गीत गाने में खुशी मिलती है। नयी पौध को लोक गायन के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए।
(उर्मिला शुक्ला, लोकगायन के लिए वर्ष 2019 का अकादमी अवार्ड)
रंगमंच से मुझे दो बड़ी उपलब्धियां मिली हैं। पहला रंगमंच ने मुझे रेलवे में सांस्कृतिक कोटे के अन्तर्गत नौकरी दी और आज रंगमंच ने मुझे एसएनए अवार्डी बना दिया। अब रंगमंच के प्रति मेरी जिम्मेदारी और बढ़ गई हैं क्योंकि मेरे साथ अवार्ड जुड़ गया है।
- डा. शैलेश श्रीवास्तव, रंगमंच में वर्ष 2011 अकादमी अवार्ड पुरस्कार
लोकगायन ने ही मुझे सब कुछ दिया है। शहर से लेकर प्रदेश, राष्ट्रीय स्तर के बाद विदेशों में परम्परा का प्रसार करने का काम किया। अब मेरी जिम्मेदारी बढ़ गई है। पारम्परिक संगीत को आजीवन बढ़ाने की दिशा में काम करूंगा। जिससे हमारी संस्कृति बनी रहे।
(राकेश उपाध्याय, लोकगायन में वर्ष 2016 का अकादमी पुरस्कार)
शास्त्रीय संगीत में धैर्य की आवश्यकता होती है। मैने शास्त्रीय संगीत से कभी समझौता नहीं किया। आज सम्मान मिला तो खुश हूं। सरोद वादन से युवा दूर हो रहे हैं। उन्हें वापस सरोद वादन की ओर से लेकर आना है और इस विद्या को नई पौध तक पंहुचाना चाहता हूं।
(पंडित शिवदास चक्रवर्ती, सरोद वादन में वर्ष 2010 का अकादमी पुरस्कार)